





















1.श्री गणेशजी की आरती http://kasheenadhura.com/
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥ x2
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी। x2
(माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी)
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
(हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा)
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥ x2
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अँधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया। x2
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥ x2
(दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी )
(कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी॥)
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
2.ॐ जय शिव ओंकारा http://kasheenadhura.com/
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
3.जय शिवशंकर जय गंगाधर करूणाकर करतार हरे। http://kasheenadhura.com/
जय शिवशंकर जय गंगाधर करूणाकर करतार हरे।
जय कैलाशी जय अविनाशी सुखराशी सुखसार हरे।
जय शशिशेखर जय डमरूधर जय जय प्रेमागार हरे।
जय त्रिपुरारी जय मदहारी नित्य अनन्त अपार हरे।
निर्गुण जय जय सगुण अनामय निराकार साकार हरे।
पारवती पति हर–हर शम्भो पाहि–पाहि दातार हरे।।
जय रामेश्वर जय नागेश्वर वैद्यनाथ केदार हरे।
मल्लिकार्जुन सोमनाथ जय महाकार ओंकार हरे।
जय त्रयम्बकेश्वर जय भुवनेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे।
काशीपति श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अधहार हरे।
नीलकंठ जय भूतनाथ जय मृतुंजय अविकार हरे।
पारवती पति हर–हर शम्भो पाहि–पाहि दातार हरे।।
भोलानाथ कृपालु दयामय अवढर दानी शिवयोगी।
निमिष मात्र में देते है नवनिधि मनमानी शिवयोगी।
सरल हृदय अति करूणासागर अकथ कहानी शिवयोगी।
भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर बने मसानी शिवयोगी।
स्वयं अकिंचन जन मन रंजन पर शिव परम उदार हरे।
पारवती पति हर–हर शम्भो पाहि–पाहि दातार हरे।।
आशुतोष इस मोहमयी निद्रा मुझे जगा देना।
विषय वेदना से विषयों की मायाधीश छुड़ा देना।
रूप सुधा की एक बूद से जीवन मुक्त बना देना।
दिव्य ज्ञान भण्डार युगल चरणों की लगन लगा देना।
एक बार इस मन मन्दिर में कीजे पद संचार हरे।
पारवती पति हर–हर शम्भो पाहि–पाहि दातार हरे।।
दानी हो दो भिक्षा में अपनी अनपायनी भक्ति विभो।
शक्तिमान हो दो अविचल निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो।
त्यागी हो दो इस असार संसारपूर्ण वैराग्य प्रभो।
परम पिता हो दो तुम अपने चरणों में अनुराण प्रभो।
स्वामी हो निज सेवक की सुन लीजे करूण पुकार हरे।
पारवती पति हर–हर शम्भो पाहि–पाहि दातार हरे।।
तुम बिन व्यकुल हूँ प्राणेश्वर आ जाओ भगवन्त हरे।
चरण कमल की बॉह गही है उमा रमण प्रियकांत हरें।
विरह व्यथित हूँ दीन दुखी हूँ दीन दयाल अनन्त हरे।
आओ तुम मेरे हो जाओ आ जाओ श्रीमंत हरे।
मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे।
पारवती पति हर–हर शम्भो पाहि–पाहि दातार हरे।।
जय महेश जय जय भवेश जय आदि देव महादेव विभो।
किस मुख से हे गुणातीत प्रभुत तव अपार गुण वर्णन हो।
जय भव तारक दारक हारक पातक तारक शिव शम्भो।
दीनन दुःख हर सर्व सुखाकर प्रेम सुधाकर की जय हो।
पार लगा दो भवसागर से बनकर करूणा धार हरे।
पारवती पति हर–हर शम्भो पाहि–पाहि दातार हरे।।
जय मनभावन जय अतिपावन शोक नसावन शिवशम्भो।
विपति विदारण अधम अधारण सत्य सनातन शिवशम्भो।
वाहन वृहस्पति नाग विभूषण धवन भस्म तन शिवशम्भो।
मदन करन कर पाप हरन धन चरण मनन धन शिवशम्भो।
विश्वन विश्वरूप प्रलयंकर जग के मूलाधार हरे।
पारवती पति हर हर शम्भो पाहि–पाहि दातार हरे।।
4. ॐ जय जगदीश हरे, http://kasheenadhura.com/?page_id=68
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे |
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे | ॐ जय जगदीश हरे ||
जो ध्यावे फल पावे, दुःखबिन से मन का,
स्वामी दुःखबिन से मन का | सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का | ॐ जय जगदीश हरे ||
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी |
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी | ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी |
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी | ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता |
मैं मूरख फलकामी मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता | ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति |
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति | ॐ जय जगदीश हरे ||
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे |
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे | ॐ जय जगदीश हरे ||
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप हरो देवा |
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा | ॐ जय जगदीश हरे ||
तन मन धन सब है तेरा स्वामी सबकुछ है तेरा |
तेरा तुझको अर्पण प्रभु का प्रभु को समर्पण क्या लागे मेरा ॐ जय जगदीश हरे ||
5. जय अम्बे गौरी http://kasheenadhura.com/?page_id=68
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरीजय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको जगमग तो
उज्जवल से दो नैना, चन्द्रवदन नीको
ॐ जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै
ॐ जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती
ॐ जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे
ॐ जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी
आगम-निगम बखानी, तुम शिव पटरानी
ॐ जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरव
बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरु
ॐ जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता
ॐ जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति
ॐ जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै
ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी ॐ जय अम्बे गौरी
6. आरती श्री रामचन्द्रजी http://kasheenadhura.com/?page_id=68
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भवभय दारुणम्।
नव कंज लोचन, कंज मुख कर कंज पद कंजारुणम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…।
कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरद सुन्दरम्।
पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचि नौमि जनक सुतावरम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…।
भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनन्द कन्द कौशल चन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…।
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषणम्।
आजानुभुज शर चाप-धर, संग्राम जित खरदूषणम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…।
इति वदति तुलसीदास, शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कंज निवास कुरु, कामादि खल दल गंजनम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…।
मन जाहि राचेऊ मिलहि सो वर सहज सुन्दर सांवरो।
करुणा निधान सुजान शील सनेह जानत रावरो॥
1
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…।
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय हित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मन्दिर चली॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…।
7. श्री हनुमान चालीसा http://kasheenadhura.com/?page_id=68
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि||
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर | जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।|| राम दूत अतुलित बल धामा | अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा||
महाबीर बिक्रम बजरंगी| कुमति निवार सुमति के संगी|| कंचन बरन बिराज सुबेसा | कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।कांधे मूंज जनेउ साजे।।शंकर सुवन केसरी नंदन।तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर।।प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।बिकट रूप धरि लंक जरावा।।भीम रूप धरि असुर संहारे।रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।लंकेश्वर भए सब जग जाना।।जुग सहस्र जोजन पर भानु।लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।दुर्गम काज जगत के जेते।सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।सब सुख लहै तुम्हारी सरना।तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।तीनों लोक हांक तें कांपै।।भूत पिसाच निकट नहिं आवै।महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा।जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।संकट तें हनुमान छुड़ावै।मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।तिन के काज सकल तुम साजा।।और मनोरथ जो कोई लावै।सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।है परसिद्ध जगत उजियारा।।साधु संत के तुम रखवारे।।असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।अस बर दीन जानकी माता।।राम रसायन तुम्हरे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै।जनम जनम के दुख बिसरावै।।अंत काल रघुबर पुर जाई।जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।सङ्कट कटै मिटै सब पीरा।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।जो सत बार पाठ कर कोई।छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।होय सिद्धि साखी गौरीसा।।तुलसीदास सदा हरि चेरा।कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।। http://kasheenadhura.com/ Ganesh Samant
8. Shiv Mantra http://kasheenadhura.com/?page_id=68
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
करपूर गौरम करूणावतारम
संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |
सदा वसंतम हृदयारविंदे
भवम भवानी सहितं नमामि ||
मंगलम भगवान् विष्णु
मंगलम गरुड़ध्वजः |
मंगलम पुन्डरी काक्षो
मंगलायतनो हरि ||
सर्व मंगल मांग्लयै
शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्रयम्बके गौरी
नारायणी नमोस्तुते ||
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा
बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात
करोमि यध्य्त सकलं परस्मै
नारायणायेति समर्पयामि ||
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे
हे नाथ नारायण वासुदेव |
जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव
गोविन्द दामोदर माधवेती ||
भजन
1. नित महिमा मैं गाउँ मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए,
और क्या माँगू मैं तुमसे माता,
बस धूल चरण की चाहूँ,
पल पल याद करूँ मैं तुमको,
मैं हिरे रतन ना चाहूँ,
अब तक तेरा प्यार मिला है,
माँ हर मांग मिली मेरे मन की,
आगे भी तू रखना दया माँ,
तू मालिक है त्रिभुवन की,
नित महिमा मैं गाउँ मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए,
सदा ज्योत जगाऊँ मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए,
नित महिमा मैं गाउँ मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए ॥
मैं तो आरती उतारु मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए
मुझे ना कुछ और चाहिए मा मुझे ना कुछ और चाहिए
मैं तो आरती उतारु मैया तेरी , मुझे ना कुछ और चाहिए
तेरा नाम ही तो मेरा माँ सहारा है, सिवा तेरे मैया कोण हमारा है,
तेरे द्वार की मिले दरबानी, मुझे ना कुछ और चाहिए,
नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए ॥
मैं तो आरती उतारु मैया तेरी , मुझे ना कुछ और चाहिए
बस प्यार मिले हमको तुम्हारा माँ, छूटे भक्तो से ना तेरा द्वारा माँ,
तेरे चरणों में बीते जिंदगानी, मुझे ना कुछ और चाहिए,
नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए ॥
मैं तो आरती उतारु मैया तेरी , मुझे ना कुछ और चाहिए
सदा ज्योत जगाऊँ मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए,
नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए ॥
मैं तो आरती उतारु मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए
मुझे ना कुछ और चाहिए, मुझे ना कुछ और चाहिए
मैं तो आरती उतारु मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए
तेरे द्वार से ही शाम या सवेरा हो , मेरे मन में मा तेरा डेरा हो
तेरे चरणों में बीते जिंदगानी, मुझे ना कुछ और चाहिए
मुझे ना कुछ और चाहिए मा मुझे ना कुछ और चाहिए
मैं तो आरती उतारु मैया तेरी , मुझे ना कुछ और चाहिए
बस प्यार मिले हमको तुम्हारा माँ , ओ छूटे भक्तों से ना तेरा द्वारा माँ
तेरे चरणों में बीते जिंदगानी, मुझे ना कुछ और चाहिए
नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी, मुझे ना कुछ और चाहिए ॥
मुझे ना कुछ और चाहिए मा मुझे ना कुछ और चाहिए
मैं तो आरती उतारु मैया तेरी , मुझे ना कुछ और चाहिए ॥
मैं तो आरती उतारु मैया तेरी , मुझे ना कुछ और चाहिए ॥
2. लेके गौराज़ी को साथ, भोले भाले भोलेनाथ- काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
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लेके गौराज़ी को साथ, भोले भाले भोलेनाथ- काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
नंदी पे सवार होके डमरू बजाते, चले आ रहे हैं बाबा हरि गुन गाके |
पहने नरमुंडो की माल ऊपर ओडे मृगछाल, काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर
लेके गौराज़ी को साथ, भोले भाले भोलेनाथ- काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
हाथ में त्रिशूल लिये भस्म रमाये, झोली गले में डाले गोकुल में आये
पहुंचे नंदजी के द्वार शिवजी बोले बारम्बार, काशीनगरी से आये हैं भोलेशंकर
कहा है यशोदा तेरा कृष्ण कन्हेया दरस करा दे नारी ले लू बलैया
सुनके नारायण अवतार आया हूं तेरे द्वार काशीनगरी से आया हूँ शिव शंकर !!
लेके गौराज़ी को साथ, भोले भाले भोलेनाथ- काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
देखके यशोदा बोली जाओ जाओ जाओ, द्वार पर हमारे, डमरू ना बजाओ
डर जायेगा मेरा लाल, देख के सरपो की ये माल, काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर
लेके गौराज़ी को साथ, भोले भाले भोलेनाथ- काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
हस के वो जोगी बोला सुनो म्हारी, दरश करा दो होगी बड़ी मेहरबानी
दर्श करा दो 1 बार कैसा है वो सुकुमार काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
लेके गौराज़ी को साथ, भोले भाले भोलेनाथ- काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
सोया है कन्हइया, मैं ना जगाउ, तेरी बातो मैं हरगिज़ ना आउं|
मेरा नन्हा है गोपाल तू कोई जादू देगा ड|ल काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
लेके गौराज़ी को साथ, भोले भाले भोलेनाथ- काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
इतना सुनके भोला हसे खिलखिलाके ,बोले यशोदा से डमरू बजाके
देखे जाके अपना लाल आने को है बेकरार, काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
लेके गौराज़ी को साथ, भोले भाले भोलेनाथ- काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
लेके गौराज़ी को साथ, भोले भाले भोलेनाथ- काशीनगरी से आये हैं शिव शंकर !!
3. भोलेनाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
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भोलेनाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
भक्तों ने पुकारा है हमें तेरा सहारा है
भक्तों ने पुकारा है हमें तेरा सहारा है, भक्तों ने पुकारा है हमें तेरा सहारा है
आ जाओ भोलेनाथ -2, यहाँ कौन हमारा है |
भोलेनाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है |दीनानाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
है चारो तरफ छाया घनघोर अँधेरा है ,अब जाए कहां भोले तूफानों ने घेरा है-2
भोले नाथ अनाथो का -2 एक तू ही सहारा है ,भोलेनाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
भक्तों ने पुकारा है हमें तेरा सहारा है, भक्तों ने पुकारा है हमें तेरा सहारा है
आ जाओ भोलेनाथ , यहाँ कौन हमारा है
भोलेनाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
दीनानाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
मझधार पड़ी नैया डगमग डोला जाए -2 मिल जाओ हमें आके हम भाव से तार जाये -2
बिन तेरे नहीं जग में, एक पल भी गुजारा हो
भोलेनाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
दीनानाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
भोले तेरे चरणों की गजधूल जो मिल जाए -2 भटके हुए राही को मंजिल भी मिल जाए -2
किस्मत ही संवर जाए-2, जैसे चमका सितारा हो
भोलेनाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
भोलेनाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
भक्तों ने पुकारा है हमें तेरा सहारा है भक्तों ने पुकारा है हमें तेरा सहारा है
आ जाओ भोलेनाथ , यहाँ कौन हमारा है
भोलेनाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है दीनानाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
भोलेनाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है
भोलेनाथ चले आओ, भक्तों ने पुकारा है ….slow
4. सावन का महीना आया रे, भोले डमरू बजा दे
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सावन का महीना आया रे, भोले डमरू बजा दे
डमरू बजादे भोले हमको नचा दे
सावन का महीना आया रे, भोले डमरू बजा दे
भोले तेरे रहने को कैलाश पर्वत कैलाश पर्वत भोले कैलाश पर्वत
सावन का महीना आया रे, भोले डमरू बजा दे
भोले तेरे पीने को जहर का प्याला ,जहर का प्याला भोले जहर का प्याला
सावन का महीना आया रे, भोले डमरू बजा दे
डमरू बजादे भोले दर्शन दिखा दे, सावन का महीना आया रे, भोले डमरू बजा दे
भोले तेरे हाथों में डमरू विराजे, डमरू विराजे भोले डमरू विराजे
सावन का महीना आया रे, भोले डमरू बजा दे
भोले तेरे संग मैं गौरा विराजे -2, गौरा विराजे भोले गौरा विराजे
सावन का महीना आया रे, भोले डमरू बजा दे
सावन का महीना आया रे, भोले डमरू बजा दे
डमरू बजादे भोले हमको नचा दे , डमरू बजादे भोले डमरू बजा दे
सावन का महीना आया रे, भोले डमरू बजा दे
5. दुःख से मत घबराना रे पंछी – dukh se mat ghabarana re panchhi
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दुःख से मत घबराना पंछी
ये जग दुःख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर
उड़ना तुझे अकेला है
दख से मत घबराना पंछी
ये जग दुख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर
उड़ना तुझे अकेला है
नन्हे कोमल पंख ये तेरे
और गगन की ये दूरी
बैठ गया तो होगी कैसे
मन की अभिलाषा पूरी
उसका नाम अमर है जग में
जिसने संकट झैला है
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर
उड़ना तुझे अकेला है
दुःख से मत घबराना पंछी
ये जग दुःख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर
उड़ना तुझे अकेला है
चतुर शिकारी ने रखा है
जाल बिछा के पग पग पर
फँस मत जाना भूल से पगले
पछताएगा जीवन भर
लोभ में दाने के मत पड़ना
बड़े समझ का खेला है
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर
उड़ना तुझे अकेला है
दुःख से मत घबराना पंछी
ये जग दुःख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर
उड़ना तुझे अकेला है
जब तक सूरज आसमान पर
चढ़ता चल तू चलता चल
घिर जाएगा अंधकार जब
बड़ा कठिन होगा पल पल
किसे पता की उड़ जाने की
आ जाती कब बेला है
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर
उड़ना तुझे अकेला है
दुःख से मत घबराना पंछ
ये जग दुःख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर
उड़ना तुझे अकेला है
दुख से मत घबराना पंछी
ये जग दुःख का मेला है
चाहे भीड़ बहुत अम्बर पर
उड़ना तुझे अकेला है
6. मारने वाला है भगवान, बचाने वाला है भगवान – भजन
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श्रद्धा रखो जगत के लोगो,
अपने दीनानाथ में ।
लाभ हानि जीवन और मृत्यु,
सब कुछ उस के हाथ में ॥
मारने वाला है भगवान,
बचाने वाला है भगवान ।
बाल ना बांका होता उसका,
जिसका रक्षक दयानिधान ॥
त्याग दो रे भाई फल की आशा,
स्वार्थ बिना प्रीत जोड़ो ।
कल क्या होगा इस की चिंता,
जगत पिता पर छोड़ो ।
क्या होनी है क्या अनहोनी,
सब का उसको ज्ञान ॥
मारने वाला है भगवान,
बचाने वाला है भगवान ।
बाल ना बांका होता उसका,
जिसका रक्षक दयानिधान ॥
जल थल अगन आकाश पवन पर,
केवल उसकी सत्ता।
प्रभु इच्छा बिना यहाँ पर,
हिल ना सके एक पत्ता ।
उसी का सौदा यहाँ पे होता,
उस की शक्ति महान ॥
मारने वाला है भगवान,
बचाने वाला है भगवान ।
बाल ना बांका होता उसका,
जिसका रक्षक दयानिधान ॥
7. जटा की धारी शंकरा हो तेरे गले में नागों की माला कि डम- डम, डमरु बजे
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जटा की धारी शंकरा हो तेरे गले में नागों की माला कि डम- डम, डमरु बजे
रहने को जिनके कैलाश पर्वत कैलाश पर्वत,
ओडे बागंबर छाला हो , के डम डम डमरू बाजे
तेरे गले में नागों की माला कि डम- डम, डमरु बजे
जटा की धारी शंकरा हो तेरे गले में नागों की माला कि डम- डम, डमरु बजे
खाने को जिनके भांग धतूरा भांग धतूरा
पीवे जहर का प्याला कि डम- डम, डमरु बजे
तेरे गले में नागों की माला कि डम- डम, डमरु बजे
माथे में जिनके चंदा विराजे चंदा विराजे
तेरे जटा में गंगा की धारा , कि डम- डम, डमरु बजे
तेरे गले में नागों की माला कि डम- डम, डमरु बजे
जटा की धारी शंकरा हो तेरे गले में नागों की माला कि डम- डम, डमरु बजे
बाये मैं तेरे गौरा विराजे गौरा विराजे
तेरे गोदी में गणपति लाला के डम- डम, डमरु बजे
तेरे गले में नागों की माला कि डम- डम, डमरु बजे
जटा की धारी शंकरा हो तेरे गले में नागों की माला कि डम- डम, डमरु बजे
चरनो मैं तेरे नंदी विराजे नंदी विराजे
द्वारे मैं भक्त अपारा के डम- डम, डमरु बजे
तेरे गले में नागों की माला कि डम- डम, डमरु बजे
जटा की धारी शंकरा हो तेरे गले में नागों की माला कि डम- डम, डमरु बजे
8. रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
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रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
एकपल जिया तो क्या हुआ, दो पल जिया तो क्या हुआ -2
जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
एकदिन जिया तो क्या हुआ, दो दिन जिया तो क्या हुआ -2
जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ -2
गंगा नहाया क्या हुआ, यमुना नहाया क्या हुआ
जब मन का ही मैला धोया नहीं गंगा नहाके क्या हुआ
जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ , जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
काशी बनारस द्वारिका मथुरा गए तो क्या हुआ
दिल का भरम टूटे नहीं, मन का भरम टूटे नहीं, तीरथ किया तो क्या हुआ
जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
एकदिन जिया तो क्या हुआ, दो दिन जिया तो क्या हुआ -2
रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
दो दिन जिया तो क्या हुआ दो पल जिया तो क्या हुआ -2
जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
जब तक रहे माता पिता सेवा ना उनकी कर सके
जाकर के हरि -हरिद्वार में तर्पण किया तो क्या हुआ
जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
एकपल जिया तो क्या हुआ, दो पल जिया तो क्या हुआ -2
जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
सोना दिया, चाँदी दिया, सब कुछ दिया तो क्या हुआ
द्वारे से साधु भूखा गया, दानी बने तो क्या हुआ
जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
एकपल जिया तो क्या हुआ, दो पल जिया तो क्या हुआ -2
जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
दो दिन जिया तो क्या हुआ दो पल जिया तो क्या हुआ -2
जब रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
रहना नहीं संसार में एकपल जिया तो क्या हुआ
9. दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी, अँखियाँ प्यासी रे |
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दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी, अँखियाँ प्यासी रे |-2 दर्शन दो घनश्याम
मन मंदिर की जोत जगा दो, घट घट वासी रे || दर्शन दो घनश्याम
मंदिर मंदिर मूरत तेरी, फिर भी न दीखे सूरत तेरी |-2 आआआSSSSS
युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे || दर्शन दो घनश्याम
द्वार दया का जब तू खोले, पंचम सुर में गूंगा बोले | आआआSSSSS
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे || दर्शन दो घनश्याम
पानी पी कर प्यास बुझाऊँ, नैनन को कैसे समजाऊँ |
आँख मिचौली छोड़ो अब तो मन के वासी रे || दर्शन दो घनश्याम
निबर्ल के बल धन निधर्न के, तुम रखवाले भक्त जनों के |
तेरे भजन में सब सुख़ पाऊं, मिटे उदासी रे || दर्शन दो घनश्याम
नाम जपे पर तुझे ना जाने, उनको भी तू अपना माने |
तेरी दया का अंत नहीं है, हे दुःख नाशी रे || दर्शन दो घनश्याम
आज फैसला तेरे द्वार पर, मेरी जीत है तेरी हार पर |
हर जीत है तेरी मैं तो, चरण उपासी रे || दर्शन दो घनश्याम
द्वार खडा कब से मतवाला, मांगे तुम से हार तुम्हारी |
नरसी की ये बिनती सुनलो, भक्त विलासी रे || दर्शन दो घनश्याम
लाज ना लुट जाए प्रभु तेरी, नाथ करो ना दया में देरी |
तिन लोक छोड़ कर आओ, गंगा निवासी रे ||
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी, अँखियाँ प्यासी रे |-2 दर्शन दो घनश्याम
10. अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये,
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अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये, बोल मेरी मैया तुझे क्या कहा जाये ॥
मैंने सोने का टीका बनवाया,
मेरी मय्या को पसन्द नहीं आया,
अम्बे मा को to फूलों का टीका hi पसन्द आया,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए, बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥
मैंने सोने के कंगन बनवाये,
मय्या को पसन्द नहीं आये,
उसे फूलों के कंगन पसन्द आये,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए, बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥
मैंने सोने का हार बनवाया, मैंने laakhoका हार बनवाया,
मइया को पसन्द नहीं आया,
उसे फूलों का हार पसन्द आया,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए, बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥
मैंने सोने की तगड़ी बनवायी,
मइया को पसन्द नहीं आयी,
उसे तो फूलों की तगड़ी पसन्द आयी,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए, बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥
अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये, बोल मेरी मैया तुझे क्या कहा जाये ॥
11. आज तो कैलाश पर बाज रहा डमरू
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आज तो कैलाश पर बाज रहा डमरू,
नाच रहे शिवजी बाज रहे घुगरू, नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
शंकर भी नाचे, संग गौरी भी नाचे,
गणपत भी नाचे, स्वामी कार्तिक भी नाचे
भूत प्रेत नंदी गण सारा जग नाचे,
पावोमे बांधकर सोनेके घुंगरू, नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
आज तो कैलाश पर बाज रहा डमरू, नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
अक्कड़ बम बक्कड़ बम बोल रहा डमरू नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
ब्रम्हाजी आये, संग सावित्री लाये,
विष्णुजी आये, संग लक्ष्मीजी लाये,
वीनाबजाते हुये नारदजी आये,
पांवोमे बांधकर सोनेके घुंगरू, नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
आज तो कैलाश पर बाज रहा डमरू, नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
अक्कड़ बम बक्कड़ बम बोल रहा डमरू नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
जटामे शिवजी के गंगा बिराजे,
मस्तकपे शिवजी के चंद्रमा बिराजे,
गले मे शिवजीके शेषनाग सोहे,
हाथोमे शिवजीके बाज रहा डमरू, नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
आज तो कैलाश पर बाज रहा डमरू, नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
अक्कड़ बम बक्कड़ बम बोल रहा डमरू नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
तीन नयन की शोभा है भारी,
अंग विभूत लगे अती प्यारी,
नंदी पे शिवजिकि निकली सवारी,
हाथोमे शिवजीके बाज रहा डमरू, नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
आज तो कैलाश पर बाज रहा डमरू, नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
अक्कड़ बम बक्कड़ बम बोल रहा डमरू नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
ब्रम्हाजी शिवजीकी आरती उतारे,
विष्णुजी शिवजीको माला पहनावे,
नाच नाच नारदजी विना बजावे,
पावोमे बांधकर सोनेके घुगरू, नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
आज तो कैलाश पर बाज रहा डमरू, नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
अक्कड़ बम बक्कड़ बम बोल रहा डमरू नाच रहे भोले बाबा बाज रहे घुगरू
12. हरी हर दोनो एक ही हैं
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हरी हर दोनो एक ही हैं ना ये कम है ना वो कम है,
ये रहते है हिमालये में वो रहते शीर सागर में,
दोनों रहते ससुर घर है,
ना ये कम है न वो कम है….
हरी हर दोनो एक ही हैं ना ये कम है ना वो कम है,
जटा में इनके गंगा है, चरण में उनके बहरी है
दोनो ही पापनाशक हैं, ना ये कम है न वो कम है….
हरी हर दोनो एक ही हैं ना ये कम है ना वो कम है,
गले में नाग इनके हैं वो शे शैय्यामें सोते हैं
दोनो नागो से खेलत हैं ना ये कम है ना वो कम है,
हरी हर दोनो एक ही हैं ना ये कम है ना वो कम है,
लगाते हैं ये बभूति हैं वो चंदन लेपलगाते हैं
दोनों ही मस्त रहते हैं ना ये कम है ना वो कम है
हरी हर दोनो एक ही हैं ना ये कम है ना वो कम है,
ये पीते भांग का प्याला, वो पीते प्रेम रस प्याला,
दोनों ही नशे में रहते है, ना ये कम है न वो कम है….
हरी हर दोनो एक ही हैं ना ये कम है ना वो कम है,
उमा की बात ये माने, रमा की बात वो माने,
पिया का मान करने में, ना ये कम है न वो कम है….
हरी हर दोनो एक ही हैं ना ये कम है ना वो कम है,
उन्हों ने धार को काटा, इन्हों ने वित्विपर काटा,
जगत उपकार करने में, ना ये कम है न वो कम है….
हरी हर दोनो एक ही हैं ना ये कम है ना वो कम है,,
13. अब कैसे रहु गिरधारी वन को चले रघुराई
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अब कैसे रहु गिरधारी वन को चले रघुराई, अब कैसे रहु गिरधारी कर मन की गति न्यारी
आगे-आगे राम चले हैं पीछे लक्ष्मण भाई ,
मध्य में माता सिया चली है कोमल पांव सराई
अब कैसे रहु गिरधारी वन को चले रघुराई, अब कैसे रहु गिरधारी कर मन की गति न्यारी
आगे-आगे राम चले हैं पीछे लक्ष्मण भाई ,
अब कैसे रहु गिरधारी कर मन की गति न्यारी
राम बिना मेरी सुनि अयोध्या लखन बिना चतुराई
सिया बिना मोरी सूनी रसोई यहाँ दुःख सहा न जाई
अब कैसे रहु गिरधारी कर मन की गति न्यारी
अब कैसे रहु गिरधारी वन को चले रघुराई, अब कैसे रहु गिरधारी कर मन की गति न्यारी
Rimjhim rimjhim megha barse
Pawan chale purwayee
kon birj me
अंदर माता कौशल्या रोये, बाहर भरत भाई
दशरथ राजा प्राण त्यागे हैं, कैकई मन पछताये
अब कैसे रहु गिरधारी वन को चले रघुराई, अब कैसे रहु गिरधारी कर मन की गति न्यारी
14. उत्तराखंड मेरी मातृभूमि गीत
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उत्तराखंड मेरी मातृभूमि
मातृभूमि, मेरी पितृभूमि,
ओ भूमि तेरी जै- जै कारा म्यार हिमाला।
ख्वार मुकुट तेरी ह्युं झलको
झलकी गाल गंगे की धारा , म्यार हिमाला।
तली तली तराई कुनी
कुनी मली मली भाभरा , म्यार हिमाला ।
बद्री केदारा का द्वार छना,
छना कनखल हरिद्वारा, म्यार हिमाला।
काली धौली का छाना जानी,
जानी नान ठुला कैलाशा, म्यार हिमाला ।
पार्वती को मैत या छो,
या छो शिवजयू को सौरसा , म्यार हिमाला।
धन मयेङी मेरो यो जनमा,
भई तेरी कोखी महाना , म्यार हिमाला।
मरी जूलो , तरी जूलो ,
इजु ऐल त्यारा बाना , म्यार हिमाला।
जै जै हो बदरी नाथ….
जै जै हो बदरी नाथ….
जै काशी केदार !जै जै हिवाला
देवतों की अवतारी भूमि
सन्तों की तपो भूमि
जै काशी केदारा । जै जै हिंवाला
जाग नाथ बाग नाथ ।
जै हरी हरद्वारा..
नील कंठ जै त्रिशूल
जै तेरी गोमुखा…
शिवं ज्यू की तपो भूमि …!
देवतों को जनमा भूमि
म्यर कुमू गढवाला ।
जै जै हिंवाला
नंन्दा देवी: पंचेश्वर।
जै बूढ़ो केदारा..!
जै मेरी जनमा भूमि
जं तेरी चौखम्बा
पार्वती की जनमा भूमि
नंदा ज्यू की जनमा भूमि
शिव ज्यू हिवांला ..!
डाई बोंटियों में राम श्याम।
ढूंगों में भगवान छँ ।
कण कण रहस्य यां छौ
देबी देबों का थान छ ।
बीरों की यो तपो भूमि।
पैगो की जन्मा भूमि।
ज्ञान की भन्डार
जै जै हिवांला …!
जै जै हो बदरीनाथ
यो बाटो का जान्या, कुमाऊनी पुराने गाने
यो बाटो कां जान्यां होला, सुरा सुरा देवी का मंदिर…
चमकनी गिलास सुवा रमकनी चाहा छ !
तेरी मेरी पिरीत कों दुनिये डाहा छ!!
यो बाटो कां…
जाइ फुलि चमेलि फुली देंणा फुली खेता !
तेरो बाटों चानें चानें उमर काटो मैता !!
यो बाटो कां…
गाड़ा का गड्यारा मारा दैत्या पिसाचं लै !
मैं यो देख दुबलि भयूं तेरा निसासे लै !!
यो बाटों कां…
तेरा गावा मूंगे की माला मेरा गावा जन्जीरा !
तेरी मेरी भेंट होली देवी का मंदीरा !!
यो बाटों कां…..
अस्यारी को रेट सुवा अस्यारी को रेट !
यो दिन यो मास आब कब होली भेंट!!
यो बाट कां…